कबाड़ से बाइक को बनाया बुलेट जैसा, माइलेज 80 का:कुछ नया करने की चाह में बी-टेक के छात्र सिद्धार्थ अब तक कर चुके तीन इनोवेशन

सकारात्मक सोच के साथ अगर कुछ नया करने का जज्बा हो तो फिर उम्र भी आड़े नहीं आ सकती। बी-टेक के छात्र ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। छात्र ने कबाड़ की सामग्रियों की उपयोग कर एक पुरानी बाइक को मोडिफाई कर बुलेट का रूप दे दिया। सबसे खास बात यह है कि छात्र द्वारा मोडिफाई की गई यह गाड़ी एक लीटर पेट्रोल में 80 किलोमीटर का माइलेज दे रही है।

तपोभूमि के समीप पुलिस कॉलोनी में रहने वाले अधिवक्ता प्रकाश चौहान के पुत्र सिद्धार्थ ने यह नया प्रयोग किया है। सिद्धार्थ लेकोड़ा स्थित अवंतिका यूनिवर्सिटी में बी-टेक सेकंड ईयर के छात्र हैं। सिद्धार्थ ने यूनिवर्सिटी की प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग के अंतर्गत इनोवेशन एवं नए आयडिया के साथ मोडिफाइड बाइक तैयार की है। इसमें सामान्य बाइक को बुलेट में मोडिफाई किया है। सिद्धार्थ ने बताया इस मोडिफाइड बाइक में उन्होंने फाइबर ग्लास का पैनल बनाया।

साथ ही बोरिंग में प्रयोग होने वाले पाइप से मेटल की सीट बनाई है। बाइक के हैंडल भी सामान्य पाइप से तैयार किए गए हैं। कबाड़ की अन्य चीजों का प्रयोग भी इस मोडिफाई बाइक में किया गया है। जिसे बुलेट का रूप दिया है। सिद्धार्थ के अनुसार पुरानी बाइक की लागत को छोड़ इस बाइक को मोडिफाई करने में उन्हें लगभग 10 हजार रुपए का खर्च आया। अधिकांश कबाड़ की सामग्रियां इसमें प्रयोग की गई।

वजन कम करके बढ़ाया बाइक का माइलेज

सिद्धार्थ ने बताया गाड़ी के वजन और इंजन का माइलेज पर सबसे ज्यादा असर होता है। इसी कॉन्सेप्ट को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पुरानी कबाड़ में पड़ी बाइक में से सबसे पहले गैर जरूरी सामग्रियों को हटाया और कम वजन वाली फाइबर ग्लास की पैनल बनाई। अन्य सामग्रियों भी हल्के वजन की उपयोग की। इससे बाइक का वजन करीब 15 किलोग्राम कम हो गया। वजन कम होने से बाइक का माइलेज बढ़ गया। सिद्धार्थ स्वयं इस बाइक का उपयोग करते हैं और अब यह बाइक वजन कम होने के बाद एक लीटर पेट्रोल में 80 किलोमीटर का माइलेज दे रही है।

पहले भी कर चुके हैं इनोवेटिव प्रयोग
स्कूल लाइफ से ही सिद्धार्थ इनोवेटिव प्रयोग करते आ रहे हैं। वर्ष 2017 में कक्षा 10वीं में पिता प्रकाश पुलिस में पदस्थ थे, तब शहर से बाहर ड्यूटी होने के कारण सिद्धार्थ की पिता से बात नहीं हो पाती थी, क्योंकि पिता के मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो जाती थी। इसलिए 10वीं कक्षा की पढ़ाई के साथ ही सिद्धार्थ ने वायरलेस मोबाइल चार्जर बना दिया था। सिद्धार्थ के इस प्रयोग और मॉडल को मुंबई में हुई मध्य भारत की ऑल इंडिया कॉम्पिटिशन में पहला पुरस्कार मिला था। मप्र शासन की ओर से भी उन्हें इस नवाचारी प्रयोग के लिए सम्मानित किया गया। इसके एक वर्ष बाद सिद्धार्थ ने एक ऐसा नट-बोल्ड तैयार किया, जो बगैर पाने के खुलता और लगता था।

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